अमेरिका ने क्यूबा को आतंकवाद के प्रायोजक देश के रूप में नामित किया
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के विदेश विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों हेतु बार-बार सहायता प्रदान करने और आतंकवादियों को सुरक्षित बंदरगाह उपलब्ध कराने पर क्यूबा को एक आतंकवाद प्रायोजक राज्य के रूप में नामित किया है।
अमेरिकी आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों की सूची:
- अमेरिका उन देशों को सूचीबद्ध करता है जो बार-बार आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों के तहत अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कृत्यों के लिए समर्थन प्रदान करते हैं।
- इस सूची को पहली बार 1979 में इराक, लीबिया, सीरिया और दक्षिण यमन के साथ जारी किया गया था।
यूएसए-क्यूबा संबंध:
- संयुक्त राज्य अमेरिका और क्यूबा के बीच’ 60 वर्षों से अधिक समय तक तनावपूर्ण संबंध रहे हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका समर्थित सरकार ने वर्ष 1959 में फिदेल कास्त्रो की सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया था।
- पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और राउल कास्त्रो ने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिये कई कदम उठाए, जिनमें राजनयिक संबंधों को बहाल करना, राजनयिक यात्राएँ और व्यापार का विस्तार करना शामिल है।
- ट्रंप प्रशासन ने पर्यटन और अन्य वाणिज्यिक क्षेत्रों पर प्रतिबंधों को फिर से लागू करके पिछले समझौतों की शर्तों को उलट दिया है।
हवाना सिंड्रोम:
- वर्ष 2016 के उत्तरार्द्ध में हवाना (क्यूबा की राजधानी) में तैनात USA के राजनयिकों और अन्य कर्मचारियों ने अजीब सी आवाज़ें सुनने तथा शारीरिक संवेदनाओं के बाद इस बीमारी को महसूस किया।
- इस बीमारी के लक्षणों में मितली, तीव्र सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, नींद की समस्या आदि शामिल हैं, जिन्हें हवाना सिंड्रोम (Havana Syndrome) के रूप में जाना जाता है।
- अमेरिका ने क्यूबा पर इस बीमारी को फैलाने का आरोप लगाया था, लेकिन क्यूबा ने इस बीमारी के बारे में किसी भी तरह की जानकारी होने से इनकार कर दिया।
प्रतिबंध:
आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों की सूची में रखे गये देशों पर अमेरिका 4 प्रकार के प्रतिबंध लगा सकता है। वे इस प्रकार हैं:
1.अमेरिकी विदेशी सहायता पर प्रतिबंध
2.रक्षा निर्यात और बिक्री पर प्रतिबंध
3.दोहरे उपयोग की वस्तुओं के निर्यात पर नियंत्रण
4.विविध वित्तीय और अन्य प्रतिबंध
भारत का रुख:
- आर्थिक नाकेबंदी को समाप्त करने का समर्थन: हाल ही में जब अमेरिका ने वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में क्यूबा की सदस्यता का विरोध किया, तो संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में उन सभी देशों के साथ भारत भी खड़ा हुआ जिन्होंने क्यूबा के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका की अन्यायपूर्ण और लंबे समय से चली आ रही आर्थिक नाकेबंदी को समाप्त करने की मांग की थी।
- अमेरिकी नाकेबंदी की आलोचना: संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा क्यूबा के खिलाफ इस घेराबंदी का निरंतर बने रहना वैश्विक जनमत के खिलाफ है और यह बहुपक्षवाद तथा संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता को कमज़ोर करता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का रुख:
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने क्यूबा के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाई गई आर्थिक, वाणिज्यिक और वित्तीय नाकेबंदी को समाप्त करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए इस संदर्भ में वर्ष 1992 से प्रतिवर्ष एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है।
स्रोत – द हिन्दू