अमेजॅन और फ्लिपकार्ट की याचिका अस्वीकार

अमेजॅन और फ्लिपकार्ट की याचिका अस्वीकार

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की जांच के विरुद्ध अमेजॅन और फ्लिपकार्ट की याचिका अस्वीकार की है ।

  • उच्चतम न्यायालय ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट से जुड़े एक मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करना अस्वीकार कर दिया है । ज्ञातव्य है कि इस आदेश में कर्नाटक उच्चन्यायालय ने कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के लिए अमेज़न और फ्लिपकार्ट के विरुद्ध भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India: CCI) द्वारा आरंभ की गई जांच को रोकने से अस्वीकृत कर दिया था।
  • CCI द्वारा यह जांच सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) समूह द्वारा की गई एक शिकायत के उपरांत आरंभ की गई थी। शिकायत में यह उल्लेख किया गया था कि अमेज़न और फ्लिपकार्ट ये दोनों कंपनियां इनमें अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी रखने वाले कुछ विक्रेताओं के प्रति अधिमान्य (preferential) व्यवहार अपना रही हैं।
  • फ्लिपकार्ट और अमेज़न ने अपने अधिमान्य विक्रेताओं के साथ ऊर्ध्वाधर समझौतों के माध्यम से उन्हें आक्रामक मूल्य निर्धारण, अधिमान्य व्यवहार तथा अत्यधिक छूट की अनैतिक सुविधा प्रदान की है। इसके कारण अन्य व्यापारियों को ऑनलाइन मार्केटप्लेस से पुरोबंध (foreclosure) के लिए विवश होना पड़ा है।

अत्यधिक छूट- इसमें कीमत में सामान्य से अधिक अथवा अतिशय छूट प्रदान करना शामिल है। उदाहरणतः कुछ सेल फोन की ऑनलाइन बिक्री हेतु बहुत अधिक छूट प्रस्तावित करना।

आक्रामक/सस्ता मूल्य निर्धारण- इसमें कीमतों में अत्यधिक कमी करके अवैध रूप से प्रतिस्पर्धा को समाप्त करने का प्रयास किया जाता है। तत्पश्चात, कम प्रतिस्पर्धियों की उपस्थिति में नुकसान की प्रतिपूर्ति के लिए कीमतों में वृद्धि कर दी जाती है।

इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार द्वारा ई-कॉमर्स नीति का प्रारूप तैयार किया गया है। इस नीतिका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ई-कॉमर्स संस्थाएं डिजिटल एकाधिकार स्थापित न करें। साथ ही, अपने प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत सभी विक्रेताओं या वेंडर्स के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करें।

CCI के बारे में

  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI), प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • आयोग का कर्तव्य प्रतिस्पर्धा पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावसे युक्त व्यवहारों को समाप्त करना, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना व उसे सतत रूप से बनाए रखना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और भारतीय बाजारों में व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है।

स्रोत – द हिन्दू

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