अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सुरक्षा के लिए अभिसमय-2003
हाल ही में भारत को यूनेस्को के ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सुरक्षा के लिए अभिसमय-2003 की अंतर सरकारी समिति के लिए चुना गया है।
इस समिति में 24 सदस्य होते हैं। इन सदस्यों को समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व और रोटेशन पद्धति के अनुसार चुना जाता है।
भारत वर्ष 2022-2026 अवधि के लिए चुना गया है। भारत का कुल मिलाकर तीसरी बार चयन किया गया है।
इससे पहले, भारत ने 2006 से 2010 और 2014 से 2018 तक दो बार ICH समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया है।
समिति के कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
- अभिसमय (कन्वेंशन) के उद्देश्यों को बढ़ावा देना, सर्वोत्तम प्रथाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करना, और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए सिफारिशें करना।
- यह समिति अमूर्त विरासत की सूची में किसी नयी विरासत को शामिल करने के अनुरोधों की भी जांच करती है। इस समिति को अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्रदान करने का कार्य भी सौंपा गया है।
यूनेस्को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अभिसमय, 2003 के बारे में:
इसका उद्देश्य परंपराओं और जीवंत अभिव्यक्ति के साथ-साथ अमूर्त विरासत की सुरक्षा भी करना है।
इसके निम्नलिखित 4 प्राथमिक लक्ष्य हैं:
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना,
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के लिए सम्मान सुनिश्चित करना,
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना
- तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सहायता प्रदान करना।
यूनेस्को (UNESCO) और भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का अर्थ है अभ्यास, प्रदर्शन, अभिव्यक्ति, ज्ञान, कौशल तथा इनसे जुड़े उपकरण, वस्तु, कलाकृतियां और उनसे जुड़े सांस्कृतिक क्षेत्र; जिन्हें समुदाय, समूह एवं व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक विरासत के एक हिस्से के रूप में पहचानते हैं।
स्रोत –द हिन्दू