भारत का पहला ठोस अपशिष्ट से हाइड्रोजन ऊर्जा संयंत्र पुणे में स्थापित

भारत का पहला ठोस अपशिष्ट से हाइड्रोजन ऊर्जा संयंत्र पुणे में स्थापित

हाल ही में ठोस अपशिष्ट (कचरे) से हाइड्रोजन (solid waste-to-hydrogen plant) बनाने का पहला संयंत्र महाराष्ट्र के पुणे में लगाया जाएगा। इस पर कुल 430 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

  • प्लांट की स्थापना The Green Billions Ltd (TGBL) द्वारा की जाएगी, जिसने पुणे नगर निगम के साथ 30 वर्षों के लिए समझौता किया है।
  • यह अगले साल तक प्रतिदिन 350 टन ठोस कचरे का उपचार करेगी । कंपनी की योजना 350 टन ठोस कचरे से रोजाना 10 टन हाइड्रोजन बनाने की है।
  • कचरे में बायोडिग्रेडेबल, नॉन बायोडिग्रेडेबल और घरेलू खतरनाक कचरा शामिल होगा और ऑप्टिकल सेंसर तकनीक (optical sensor technology) का उपयोग करके पुणे में TGBL केंद्र में अलग किया जाएगा।
  • फैसिलिटी से निकलने वाले गीले कचरे का उपयोग निम्न-कार्बन उत्सर्जन वाले पारंपरिक जैव उर्वरकों की तुलना में बेहतर माने जाने वाले ह्यूमिक एसिड युक्त जैव उर्वरकों के उत्पादन करने के लिए किया जाएगा।
  • कचरे से प्राप्त ईंधन का उपयोग प्लाज्मा गैसीकरण प्रौद्योगिकी (plasma gasification technology) का उपयोग करके हाइड्रोजन उत्पन्न करने के लिए किया जाएगा।

रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल

  • रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (Refuse derived fuel : RDF) का उत्पादन घरेलू और व्यावसायिक कचरे से किया जाता है, जिसमें बायोडिग्रेडेबल सामग्री के साथ-साथ प्लास्टिक भी शामिल है।
  • गैर-दहनशील सामग्री जैसे कांच और धातु को अपशिष्ट से हटा दिया जाता है, और अवशिष्ट सामग्री को फिर से काट दिया जाता है।
  • अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र तभी व्यवहार्य होते हैं, जब संयंत्र कम से कम 300 दैनिक अपशिष्ट को संसाधित कर सकता है, जैसा कि तत्कालीन योजना आयोग, जिसे अब नीति आयोग के रूप में जाना जाता है, द्वारा अपशिष्ट से ऊर्जा, 2014 पर टास्क फोर्स की रिपोर्ट में कहा गया था।
  • इसलिए, 20 लाख से अधिक आबादी वाले बड़े शहरों में अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जाना व्यावहारिक माना जाए है।
  • इसके आधार पर, यह परियोजना पुणे,जिसकी आबादी 7 मिलियन से अधिक है, के लिए 350 TPD कचरे का प्रबंधन करेगी।

हाइड्रोजन

स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये हाइड्रोजन पृथ्वी पर सबसे प्रचुर तत्त्वों में से एक है।

हाइड्रोजन का प्रकार उसके बनने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है:

  • ग्रीन हाइड्रोजन: अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है। इसके तहत विद्युत द्वारा जल (H2O) को हाइड्रोजन (H) और ऑक्सीजन (O2) में विभाजित किया जाता है। उपोत्पाद: जल, जलवाष्प।
  • ब्राउन हाइड्रोजन: का उत्पादन कोयले का उपयोग करके किया जाता है जहाँ उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
  • ग्रे हाइड्रोजन (Grey Hydrogen): प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है जहाँ संबंधित उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
  • ब्लू हाइड्रोजन (Blue Hydrogen): प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होती है, जहाँ कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग करके उत्सर्जन को कैप्चर किया जाता है।

स्रोत – बिजनेस स्टैण्डर्ड

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