संयुक्त राष्ट्र द्वारा “अपरंपरागत जल संसाधन” पुस्तक जारी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने ‘अपरंपरागत जल संसाधन’ (Unconventional Water Resources) शीर्षक से एक पुस्तक जारी की गयी है। इसमें संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने राष्ट्रों से अपरंपरागत जल संसाधनों का दोहन करने का आह्वान किया है ।
यह पुस्तक निम्नलिखित संस्थानों के विशेषज्ञों ने संकलित की है:
- संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय का जल, पर्यावरण और स्वास्थ्य संस्थान (UNU -INWEH);
- UNU इंस्टीट्यूट फॉर इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट ऑफ मटेरियल फ्लक्सेज एंड रिसोर्सेज, तथा
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन
अपरंपरागत जल संसाधनों (UWRs) में आमतौर पर लवण युक्त जल, खारा जल, कृषि सिंचाई के लिए अपवाहित जल, उपचारित या अनुपचारित अपशिष्ट जल प्रवाह आदि शामिल हैं। ये सभी निम्न या मामूली गुणवत्ता वाले जल हैं। इस जल के उपयोग के लिए अधिक जटिल प्रबंधन पद्धतियों और कड़ी निगरानी प्रक्रियाओं को अपनाने की आवश्यकता होती है।
अपरंपरागत जल संसाधनों के लिए रणनीतियाँ–
- इसके तकनीकी और गैर-तकनीकी, दोनों पहलुओं पर अनुसंधान एवं अभ्यास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अपरंपरागत जल के उपयोग से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचे।
- अनिश्चितता के समय अपरंपरागत जल को पानी के विश्वसनीय स्रोत के रूप में स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए।
- जल की कमी और जलवायु परिवर्तन को एक साथ संबोधित करने जैसे पूरक एवं बहुआयामी दृष्टिकोणों का समर्थन किया जाना चाहिए।
स्रोत– द हिंदू