अनुच्छेद 244 क तथा छठी अनुसूची
अनुच्छेद 244 क तथा छठी अनुसूची
संविधान का अनुच्छेद 244 क असम के आदिवासी बहुल जिलों में लोगों के हितों की रक्षा के लिए संविधान में स्थापित है।
कुछ दिनों पहले राहुल गाँधी ने कहा था की अगर असम में उनकी सरकार बनती है तो संविधान का अनुच्छेद 244 क लागू करेगी.
अनुच्छेद 244-क क्या है ?
- संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद244) देश के चार पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम – के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से सम्बंधित है ।
- यह अनुच्छेद संसद को शक्ति प्रदान करता है कि वह विधि द्वारा असम के कुछ जनजातीय क्षेत्रों को मिलाकर एक स्वायत्त राज्य की स्थापना कर सकती है।
- यह अनुच्छेद स्थानीय प्रशासन के लिये एक स्थानीय विधायिका या मंत्रिपरिषद अथवा दोनों की स्थापना की भी परिकल्पना करता है।
- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 244 क 1969 में हुए संविधान संसोधन के तहत जोड़ा गया था।
पृष्ठभूमि:
- ज्ञातव्य हो कि 1950 के दशक में जब असम का बटवारा नहीं हुआ था तब कई जनजातीय समूहों ने अपने लिए एक अलग राज्य की मांग करना शरू कर दी थी ।
- वर्ष 1960 में पहाड़ी क्षेत्रों के कई राजनीतिक दलों ने मिलकर ऑल पार्टी हिल लीडर्स कॉन्फ्रेंस (All Party Hill Leaders Conference) का गठन किया और एक अलग राज्य की माँग को सामने रखा. इस लंबे समय के आंदोलन के परिणामस्वरूप, 1972 में असम टूटा और मेघालय का गठन हुआ.
- उस समय इसी आन्दोलन में उत्तरी कछार हिल्स और कार्बी एंगलोग के लोग भी शामिल थे जिन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अनुच्छेद 244 क के तहत अधिक स्वायत्तता का आश्वासन देकर असम में शामिल रखा गया. तभी से, असम राज्य के इन क्षेत्रों में अनुच्छेद 244 क को लागू करने की माँग की जा रही है।
छठी अनुसूची:
- संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिये इन राज्यों में जनजातीय लोगों के अधिकारों की रक्षा का प्रावधान करती है।
- यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) के तहत प्रदान किये जाते हैं।
- असम में डिमा हसाओ, कार्बी आंग्लोंग तथा पश्चिम कार्बी और बोडो प्रादेशिक क्षेत्र के पहाड़ी ज़िले इस प्रावधान के तहत शामिल हैं।
- छठी अनुसूची के तहत गठित स्वायत्त परिषदों के पास कानून और व्यवस्था का सीमित अधिकार क्षेत्र है.
- जबकि अनुच्छेद 244 क आदिवासी क्षेत्रों को अधिक स्वायत्त शक्तियाँ प्रदान करता है.
- जनजातीय क्षेत्रों में राज्यपाल को स्वायत्त जिलों का गठन और पुनर्गठन स्वशासी क्षेत्रों की सीमा घटा या बढ़ा सकने तथा नाम आदि में भी परिवर्तित करने का अधिकार है।
- यदि किसी स्वायत्त जिले में एक से अधिक जनजातियाँ हैं तो राज्यपाल इस जिले को अनेक स्वायत्त क्षेत्रों में बाँट सकता है।
- जहाँ एक ओर पाँचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्रों का प्रशासन संघ की कार्यकारी शक्तियों के अधीन आता है, वहीं छठी अनुसूची, राज्य सरकार की कार्यकारी शक्तियाँ के तहत आती हैं।
- प्रत्येक स्वायत्त जिले में 30 सदस्यों की एक जिला परिषद् होती है, जिसमें 4 सदस्य राज्यपाल नामित करता है और शेष 26, वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं।
- जिला परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है, प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र का अपनी एक अलग क्षेत्रीय परिषद् होती है।
- जिला और क्षेत्रीय परिषदें अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र का प्रशासन देखती हैं।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस
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