अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट (Adaptation Gap Report), 2022 जारी
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अनुकूलन अंतराल रिपोर्ट (Adaptation Gap Report), 2022 जारी की है।
- यह रिपोर्ट प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाती है। यह अनुकूलन कार्यों के लिए योजना निर्माण तथा उनके वित्तपोषण और कार्यान्वयन में प्रगति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करती है।
- अनुकूलन अंतराल वास्तव में समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्य और वास्तविक रूप से क्रियान्वयित अनुकूलन के बीच का अंतर है। लक्ष्यों का निर्धारण मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन प्रभावों से संबंधित प्राथमिकताओं के आधार पर किया जाता है।
- पहले से ही अपरिहार्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सुरक्षा की दिशा में उठाए गए कदमों को अनुकूलन कहते हैं। यह जलवायु कार्रवाई के तीन प्रमुख स्तंभों में से एक है।
अन्य दो हैं:
- शमन (Mitigation): अधिक वैश्विक तापवृद्धि रोकने के लिए अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने जैसे कदम इसके उदाहरण हैं।
- नुकसान और क्षति : इसके तहत ऐसी प्रणालियों का विकास करना शामिल है, जो किसी जलवायु संबंधी घटना से प्रभावित देश को फिर से सक्षम होने में मदद करेंगी।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष –
विश्व के सुभेद्य समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बढ़ते जोखिमों के प्रति अनुकूल होने के लिए तैयार करने हेतु अनुकूलन के लिए योजना निर्माण तथा उसके वित्तपोषण और कार्यान्वयन की दिशा में वैश्विक प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। UNFCCC के कम से कम 84% पक्षकारों ने अनुकूलन योजनाएं, रणनीतियां, कानून और नीतियां बनाईं हैं। अनुकूलन के लिए वित्तपोषण प्रवाह आवश्यकता से 5-10 गुना कम है। इससे अनुकूलन अंतराल लगातार बढ़ता जा रहा है।
बेहतर अनुकूलन प्रथाओं के लिए सुझाव–
- निर्णय प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों, देशज निवासियों आदि जैसे हितधारकों को वास्तविक आधार पर शामिल किया जाना चाहिए।
- सहायता प्रक्रिया पारदर्शी, जवाबदेहीपूर्ण और पूर्वानुमान आधारित होनी चाहिए।
- अनुकूलन का राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, रणनीतियों और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ एकीकरण किया जाना चाहिए।
- स्थानीय क्षमताओं, क्षमता निर्माण और लोकतांत्रिक शासी संरचनाओं आदि में निवेश किया जाना चाहिए।
स्रोत – द हिन्दू