अनन्य संरक्षण पहल (ICI) रिपोर्ट

अनन्य संरक्षण पहल (ICI) रिपोर्ट

हाल ही में ‘वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF)’ और कंजर्वेशन इंटरनेशनल ने ‘अनन्य संरक्षण पहल’ (ICI) पर रिपोर्ट जारी की है ।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • देशज लोगों (Indigenous peoples) के पास स्थलीय संरक्षित क्षेत्र का 40 प्रतिशत और पारिस्थितिक रूप से अक्षुण्ण भू-क्षेत्र का 37% हिस्सा मौजूद है ।
  • देशज लोगों द्वारा भूमि प्रबंधन करने पर निर्वनीकरण को कम करने में सरकार के प्रयासों के समान या उससे भी अधिक सफलता मिलती है।
  • जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन वित्त पोषण का 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सा देशज व स्थानीय समुदायों (IPLC) को प्राप्त होता है ।
  • वर्ष 2021 में आयोजित UNFCCC के COP -26 में IPLC के लिए 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वित्त पोषण का संकल्प लिया गया था । इसका केवल 7 प्रतिशत ही सीधे IPLC के पास पहुंचा है।

अनन्य संरक्षण पहल‘ ICI के बारे में

इसे 2022 में GEF ने समर्थन प्रदान किया था । इसका उद्देश्य उच्च जैव विविधता वाले भू- परिदृश्यों, समुद्री परिदृश्यों और प्रादेशिक क्षेत्रों तथा गैर-प्रतिस्थापन योग्य पारिस्थितिकी-तंत्रों का IPLC द्वारा प्रबंधन सुनिश्चित करने एवं बढ़ाने के लिए उनका समर्थन करना ।

चार प्रमुख घटक:

  • वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय लाभ पहुंचाने के लिए स्थानीय कार्रवाई,
  • वैश्विक IPLC का क्षमता निर्माण,
  • अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण नीति में IPLC का नेतृत्व, तथा
  • कार्रवाई के लिए समावेशी संरक्षण ज्ञान ।

समावेशी संरक्षण के लिए की गई अन्य पहलें:

GEF द्वारा प्रस्तावित वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क कोष स्थापित किया गया है ।

भारत की पहलें :

  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 2002 के तहत सामुदायिक रिज़र्व की स्थापना और पवित्र उपवन (Sacred Grove ) को मान्यता प्रदान की गई है।
  • वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत वनवासियों के वन अधिकारों को मान्यता दी गई है।
  • कंजर्वेशन इंटरनेशनल अमेरिका के वर्जीनिया में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन है। यह प्रकृति की रक्षा के लिए कार्य करता है।
  • इसने जैव विविधता हॉटस्पॉट का दर्जा प्रदान करने के लिए कुछ कठोर मानक निर्धारित किए हैं।

वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) के बारे में:

  • इसे वर्ष 1992 के रियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन में स्थापित किया गया था, इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. (संयुक्त राज्य अमेरिका) में है ।
  • यह एक वित्तीय तंत्र है ,जो जैव विविधता हानि, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण तथा भूमि और महासागर के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से निपटने के प्रति समर्पित निधि है।
  • यह 5 अभिसमयों – जैव विविधता अभिसमय (CBD), UNFCCC, स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम अभिसमय, संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) और मरकरी पर मिनामाता अभिसमय के वित्तीय तंत्र के रूप में कार्य करता है ।
  • वर्तमान में इसके 185 देश सदस्य हैं और भारत भी इसका एक सदस्य है ।

स्रोत – डाउन टू अर्थ

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