अनंग ताल (झील) राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित
हाल ही में अनंग ताल (झील) को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है ।
संस्कृति मंत्रालय ने अनंग ताल को प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष, (AMASR) अधिनियम, 1958 के तहत राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है।
- अनंग ताल कुतुब परिसर के उत्तर-पश्चिम में जोग माया मंदिर के उत्तर में स्थित है। इसका निर्माण 1,060 ई. में किया गया था।
- इसके निर्माण का श्रेय तोमर वंश के अनंगपाल द्वितीय को दिया जाता है। इस वंश ने 8वीं और 12वीं शताब्दी के बीच वर्तमान हरियाणा और दिल्ली के कुछ हिस्सों पर शासन किया था।
- अनंगपाल द्वितीय ने इंद्रप्रस्थ को आबाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उसने ढिल्लिकापुरी (दिल्ली) को तोमर वंश की राजधानी बनाया था।
- उसने लाल कोट का निर्माण किया था। इसे बाद में पृथ्वीराज चौहान द्वारा किला राय पिथौरा में विलय कर दिया गया था।
- यह भी माना जाता है कि महरौली (दिल्ली) स्थित लौह स्तंभ को मध्य भारत के उदयगिरि से अनंगपाल द्वितीय ही दिल्ली लेकर आया था।
- पृथ्वीराज चौहान उसका उत्तराधिकारी था। अनंग पाल को पृथ्वीराज चव्हाण के नाना के रूप में जाना जाता है। पृथ्वीराज चौहान तराइन के युद्ध में मुहम्मद गोरी की सेना से पराजित हो गया था।
राष्ट्रीय स्मारक ऐसे प्राचीन स्मारक और सभी पुरातात्विक स्थल एवं पुरावशेष हैं, जिन्हें निम्नलिखित द्वारा राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है:
प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष (राष्ट्रीय महत्व की घोषणा) अधिनियम, 1951 की धारा 3 और 4 के तहत;राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 126 के तहत; या केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ऐसे स्मारकों की सुरक्षा, संरक्षण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है।
स्मारक को राष्ट्रीय महत्व के रूप में घोषित करने के लिए मानदंड
प्राचीन स्मारक या पुरातात्विक स्थल 100 वर्ष से कम पुराना नहीं के होना चाहिए;
इसका विशेष ऐतिहासिक, पुरातात्विक या कलात्मक महत्व होना 66 चाहिए; तथा ऐसे स्थलों/स्मारकों से संबंधित लोगों को उन्हें राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने में कोई बड़ी आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
स्रोत –द हिन्दू