भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को अधिशेष हस्तांतरण

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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को अधिशेष हस्तांतरण 

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक बोर्ड की 602वीं बैठक में लेखा वर्ष 2022-23 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में ₹87,416 करोड़ के अंतरण को अनुमोदित किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य

इस बैठक में आकस्मिक जोखिम बफर (Contingency Risk Buffer) को 5.5  प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत करने का भी निर्णय लिया गया।

लेखा वर्ष 2021-22 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केंद्र सरकार को 30,307 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए गए थे।

रिज़र्व बैंक अधिशेष

रिज़र्व बैंक अधिशेष वह राशि है जो प्रत्येक वर्ष भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सरकार को हस्तांतरित की जाती है।

यह राशि बैंक द्वारा अपने सभी खर्चों को पूरा करने के बाद बची हुई राशि है।

रिज़र्व बैंक के इस अधिशेष हस्तांतरण से सरकार पर राजकोषीय दबाव में कमी आएगी।

इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष में खर्च के लिये अतिरिक्त राशि उपलब्ध हो सकेगी।

रिज़र्व बैंक द्वारा सरकार को अधिशेष हस्तांतरण संबंधी प्रावधान

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 47 “अधिशेष लाभों के आवंटन” में यह प्रावधान किया गया है कि बैंक अपने समस्त खर्चों के भुगतान/व्यवस्था करने के पश्चात सरकार को अधिशेष का हस्तांतरण करेगा।

रिज़र्व बैंक की आय के स्त्रोत

रिज़र्व बैंक के द्वारा आय प्राप्त करने के कई साधन हैं। इसमें खुले बाज़ार कि प्रक्रिया का संचालन प्रमुख है। इसके लिये केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति के विनिमय के लिये खुले बाज़ार में बॉण्ड की खरीद-बिक्री करता है तथा इन बॉण्डों से ब्याज प्राप्त करता है।

इसके अतिरिक्त, विदेशी मुद्रा बाज़ार में लेनदेन, जिसके अंतर्गत बैंक डॉलर को कम मूल्य में खरीद कर मुनाफा प्राप्त करने के लिये अधिक मूल्य में बिक्री करता है, भी इसकी आय का प्रमुख स्रोत है।

उल्लेखनीय है कि वाणिज्यिक बैंकों के विपरीत रिज़र्व बैंक का प्राथमिक उद्देश्य लाभ अर्जित करना नहीं बल्कि रुपए के मूल्य को संरक्षित करना है। अतः बैंक को होने वाले लाभ एवं हानि इसके मौद्रिक नीति को आकार देने के क्रम में उप-उत्पाद के रूप में है।

बिमल जालान समिति 

रिज़र्व बैंक द्वारा आर्थिक पूँजी ढाँचे पर सुझाव के लिये 26 दिसंबर, 2018 को बिमल जालान की अध्यक्षता में छः सदस्यीय समिति का गठन किया गया।

इस समिति का गठन वित्त मंत्रालय एवं रिज़र्व बैंक के मध्य अधिशेष के उचित स्तर तथा अतिरिक्त राशि के हस्तांतरण को लेकर उपजे विवाद के बाद किया गया।

समिति ने आकस्मिक जोखिम बफर के रूप में प्राप्त इक्विटी का आकार रिज़र्व बैंक की बैलेंस शीट के 5.5 से 6.5 प्रतिशत के बीच बनाए रखे जाने का सुझाव दिया।

समिति के अनुसार यदि वास्तविक इक्विटी आवश्यक स्तरों से ऊपर है, तो रिज़र्व बैंक कि संपूर्ण शुद्ध आय सरकार को हस्तांतरित कर दी जाएगी।

यदि यह कम है, तो आवश्यक सीमा तक जोखिम प्रावधान किया जाएगा और केवल अवशिष्ट शुद्ध आय को स्थानांतरित किया जाएगा। समिति के इस ढाँचे की हर पाँच वर्ष में समीक्षा की जा सकती है।

बिमल जालान समिति से पूर्व भी अधिशेष राशि के उपयुक्त स्तर पर सुब्रमण्यम समिति(1997), उषा थोराट समिति(2004) एवं मालेगाम समिति(2013) का गठन किया जा चुका है।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

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