अडॉप्टेशन गैप रिपोर्ट 2020

अडॉप्टेशन गैप रिपोर्ट 2020

हाल ही में अडॉप्टेशन गैप रिपोर्ट 2020 संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा जारी की गई।

ज्ञात हो कि मौजूदा अनुमान के अनुसार, विकासशील देशों के लिये जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूलन की वर्तमान लागत 70 बिलियन डॉलर (5.1 लाख करोड़ रुपए) है।

इस रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक, विकासशील देशों के लिये जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूलन की वार्षिक लागत वर्ष 2050 तक लगभग चौगुनी हो जाएगी।

यही लागत वर्ष 2030 तक 140-300 बिलियन डॉलर और वर्ष 2050 तक 280-500 बिलियन डॉलर हो जाएगी।

अनुकूलन लागत:

  • अनुकूलन लागत में अनुकूलन उपायों की योजना बनाने, उसकी तैयारी, सुविधा प्रदान करने और उन्हें लागू करने की लागतों को शामिल किया जाता है।

अनुकूलन वित्त:

  • जलवायु परिवर्तन के कारण विकासशील देशों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिये यह धन के प्रवाह अथवा वित्तपोषण को संदर्भित करता है।

अनुकूलन वित्त अंतराल:

  • यह अनुकूलन लागत और अनुकूलन वित्त के बीच का अंतर होता है।
  • वस्तुतः विकसित देशों में अनुकूलन लागत अधिक होती है, किंतु विकासशील देशों के सकल घरेलू उत्पाद के संबंध में उन्हें अनुकूलन का बोझ अधिक उठाना पड़ता है।

जलवायु परिवर्तन के लिये वैश्विक अनुकूलन:

  • विश्व के लगभग तीन-चौथाई देशों ने कम-से-कम एक जलवायु परिवर्तन अनुकूलन उपकरण को अपनाया है और अधिकांश विकासशील देश राष्ट्रीय अनुकूलन योजनाओं को अपनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिये भारत की पहलें:

  • भारत का स्टेज-VI (BS-VI) को अपनाना ज्ञात हो कि पहले इन मापदंडों को वर्ष 2024 तक अपनाया जाना था, लेकिन इसे समय से पहले ही अपना लिया है।
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) को जनवरी,2019 में लॉन्च किया गया।
  • यह 2024 तक PM10 और 5 की सांद्रता में 20-30 प्रतिशत की कमी करने हेतु अस्थायी लक्ष्य वाली एक पंचवर्षीय कार्ययोजना है, जिसमें वर्ष 2017 को आधार वर्ष के तौर पर चुना गया है।
  • जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत वर्ष 2022 तक 20,000 मेगावाट ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा के उत्पादन का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
  • इस मिशन का उद्देश्य भारत के ऊर्जा उत्पादन में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी को बढ़ाना है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP):

  • 05 जून, 1972 को स्थापित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है जो पर्यावरण से सम्बंधित गतिविधियों का समन्वय करती है।
  • यह पर्यावरण की दृष्टि से उचित नीतियों एवं पद्धतियों का कार्यान्वयन करने में विकासशील देशों को सहायता प्रदान करती है।
  • यूएनईपीजिन समस्याओं को देखता है, उनमें प्रमुख हैं – वायुमंडल, समुद्री एवं धरातलीय पारिस्थितिकी तंत्र, पर्यावरणिक प्रशासन एवं हरित अर्थव्यवस्था।
  • यूएनईपीपर्यावरण से सम्बंधित विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन एवं उन्हें धन देने का काम भी करता है।

स्रोत – द हिन्दू

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