अटलांटिक चार्टर

हाल ही में,अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने अगस्त 1941 के ‘अटलांटिक चार्टर’ से संबंधित दस्तावेजों के निरीक्षण के दौरान, ‘लोकतंत्र और खुले समाज के सिद्धांतों, मूल्यों और संस्थानों की रक्षा’ का संकल्प लेते हुए एक नए ‘अटलांटिक चार्टर’ पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है।

विदित हो कि अगस्त 1941 में ब्रिटिश प्रधान मंत्री विंस्टन चर्चिल और अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने एक विश्व शांति के लिए एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये थे, इसे ही ‘अटलांटिक चार्टर’ कहा जाता है।

‘अटलांटिक चार्टर’ के बारे में:

  • अटलांटिक चार्टर, संयुक्त राज्य अमेरिका और ग्रेटब्रिटेन द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान जारी एक संयुक्त घोषणापत्र था, जिसमे युद्ध समाप्त होने के बाद विश्व के लिए एक दृष्टिकोण निर्धारित किया गया था।
  • इस घोषणापत्र को सर्वप्रथम 14 अगस्त 1941 को जारी किया गया था, बाद में इस पर 26 मित्र राष्ट्रों द्वारा जनवरी 1942 तक अपना समर्थन देने का वादा किया गया।
  • किसी राष्ट्र को अपनी सरकार चुनने का अधिकार, व्यापार प्रतिबंधों में ढील और युद्ध के पश्चात् निरस्त्रीकरण का अधिवचन, इसके प्रमुख बिंदुओं में शामिल थे। इस दस्तावेज़ को 1945 में गठित संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।

अटलांटिक चार्टर में शामिल प्रमुख बिंदु:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा विश्व-युद्ध से कोई भी क्षेत्रीय लाभ नहीं उठाने पर सहमति व्यक्त की गई, और उन्होंने संबंधित नागरिकों की इच्छा के विरुद्ध किए जाने वाले किसी भी क्षेत्रीय परिवर्तन का विरोध किया।
  • जिन राष्ट्रों पर युद्ध के दौरान दूसरे देशों के कब्ज़ा हो गया था, या उनकी सरकार गिर गई थी, उनके लिए, अपनी सरकार बनाने के लिए सहायता करना। नागरिकों को अपनी खुद की सरकार चुनने का अधिकार होना चाहिए।

स्रोत – द हिन्दू

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