राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना

राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण की योजना

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए योजना शुरू की है।

इस योजना को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत तैयारी और क्षमता निर्माण के लिए वित्त पोषण विंडो हेतु निर्धारित आवंटन से शुरू किया गया है।

हाल के वर्षों में आपदा प्रबंधन के प्रति भारत के दृष्टिकोण में परिवर्तन आया है। पहले आपदा प्रबंधन, आपदा के बाद राहत अभियान एवं कार्रवाई पर केंद्रित था, लेकिन अब आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर केंद्रित हो गया है।

अब प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, रोकथाम, शमन और जमीनी स्तर पर तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यह योजना 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर आधारित है । आयोग ने NDRF और राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF), प्रत्येक में से 12.5% राशि तैयारी और क्षमता निर्माण के लिए वित्त पोषण विंडो हेतु आवंटित करने की सिफारिश की है।

योजना की विशेषताएं:

  • इस योजना का उद्देश्य राज्यों में अग्निशमन सेवाओं का विस्तार और आधुनिकीकरण करना है ।
  • NDRF के कुल कोष में से 5,000 करोड़ रुपये की राशि अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण को प्राथमिकता देने के लिए निर्धारित की गई है।
  • राज्यों को उनके कानूनी और बुनियादी ढांचे में सुधारों की आवश्यकता के आधार पर प्रोत्साहन के रूप में 500 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है।
  • इस योजना के अंतर्गत आवंटित निधियों का लाभ उठाने के लिए, संबंधित राज्य सरकारों को कुल परियोजना लागत का 25 प्रतिशत अपने बजटीय संसाधनों से उपलब्ध कराना होगा ।
  • पूर्वोत्तर और हिमालयी (NEH) राज्यों को अपने बजटीय संसाधनों से 10 प्रतिशत की राशि का योगदान करना होगा।

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF):

  • वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष/निधि (NDRF) कर दिया गया।
  • इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (DM अधिनियम) की धारा 46 में परिभाषित किया गया है।
  • इसे भारत सरकार के “सार्वजनिक खाते” में “ब्याज रहित आरक्षित निधि” के अंतर्गत रखा जाता है।
  • लोक लेखा: इसका गठन संविधान के अनुच्छेद 266(2) के अंर्तगत किया गया था। यह उन लेन-देन के प्रवाह का लेखा-जोखा रखता है जहाँ सरकार केवल एक बैंकर के रूप में कार्य कर रही है। उदाहरणस्वरूप भविष्य निधि, लघु बचत आदि।

स्रोत – पी.आई.बी.

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