अखिल भारतीय बाघ गणना 2022 रिपोर्ट जारी
लुप्तप्राय बाघ प्रजातियों के बारे में जागरूकता और संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया है।
इस अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2023 की थीम है ‘बाघों के साथ एक भविष्य: पारिस्थितिकी तंत्र के लिए काम करना।
इस कार्यक्रम के दौरान “अखिल भारतीय बाघ गणना-2022” (All India Tiger Estimation – 2022) की विस्तृत रिपोर्ट भी जारी की गई है ।
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस
ज्ञातव्य हो कि अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2010 में रूस में 13 टाइगर रेंज देशों द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा पर हस्ताक्षर के दौरान अस्तित्व में आया था।
इन टाइगर रेंज वाले देशों की सरकारों ने 2022 तक प्राकृतिक आवासों के संरक्षण और बाघों की संख्या को दोगुना करने के लिए संरक्षण को प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया था।
“अखिल भारतीय बाघ गणना-2022” के मुख्य बिंदु
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाघों की संख्या जो 2018 में 2,967 थी, वर्ष 2022 में बढ़कर 3,682 हो गई। इसके साथ ही, भारत दुनिया की लगभग 75 प्रतिशत बाघ आबादी का हैबिटेट बन गया है।
विदित हो कि इससे पहले वर्ष 2014 में 2,226 बाघ रिपोर्ट किए गए थे जबकि 2010 इनकी संख्या 1,706 से अधिक थी।
9 अप्रैल, 2022 को, मैसूरु में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के जश्न के दौरान, प्रधान मंत्री ने भारत में बाघों की न्यूनतम आबादी 3167 घोषित की थी, यह गणना कैमरा- ट्रैप क्षेत्र से जनसंख्या के अनुमान पर आधारित थी।
अब, कैमरा-ट्रैप्ड और गैर-कैमरा- ट्रैप्ड के आधार पर बाघ उपस्थिति क्षेत्रों से भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा किए गए डेटा के विस्तृत विश्लेषण के अनुसार बाघों की संख्या की ऊपरी सीमा 3925 और औसत संख्या 3682 होने का अनुमान है।
यह प्रति वर्ष 6.1% की सराहनीय वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है। यह संख्या पिछले दशक में महत्वपूर्ण वृद्धि का भी संकेत देती है।
बाघों की अधिकतम संख्या में मध्य प्रदेश प्रथम
वर्ष 2022 के अनुमान के अनुसार राज्यों में बाघों की अधिकतम संख्या मध्य प्रदेश (785) में है, उसके बाद कर्नाटक (563), उत्तराखंड (560), और महाराष्ट्र (444) का स्थान है।
भारत के बाघ बड़े पैमाने पर 75,796 वर्ग किमी में फैले 53 समर्पित टाइगर रिज़र्व में केंद्रित हैं, जो भारत के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 2.3% है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की संख्या प्रथम
यदि टाइगर रिजर्व की बात की जाये तो बाघों की अधिकतम संख्या उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में (260 बाघ) है। इसके बाद बांदीपुर (150), नागरहोल (141), बांधवगढ़ (135), दुधवा (135), मुदुमलाई (114), कान्हा (105), काजीरंगा (104), सुंदरबन (100), ताडोबा (97), सत्यमंगलम (85), और पेंच-एमपी (77) में है।
मध्य भारत, शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानी इलाकों में बाघों की आबादी में वृद्धि देखी गई, खासकर मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र राज्यों में।
पूर्वोत्तर में, अरुणाचल प्रदेश में बाघों की आबादी में 68% की चिंताजनक गिरावट देखी गई – 2018 की 29 से घटकर 2022 में 9 बाघ दर्ज की गईं। असम में इस क्षेत्र में बाघों की सबसे अधिक संख्या 227 थी। लगभग 35% बाघ रिज़र्व क्षेत्र में हैं।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस