अखिल भारतीय न्यायिक सेवाएँ (AIJS)
हाल ही में केंद्र, अखिल भारतीय न्यायिक सेवाओं (AIJS) पर आम सहमति के लिए नए सिरे से प्रयास करेगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार और न्यायपालिका ने AIJS अखिल भारतीय न्यायिक सेवाएँ के समक्ष आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए चर्चा की है।
- AIJS अखिल भारतीय न्यायिक सेवाएँ का सृजन करने का विचार प्रथम बार वर्ष 1958 में 14वें विधि आयोग की रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया था।
- AIJS का उद्देश्य जिला न्यायाधीशों का एक केंद्रीकृत संवर्ग गठित करना है। इन्हें अखिल भारतीय परीक्षा के माध्यम से केंद्रीय रूप से भर्ती किया जाएगा और अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) की तर्ज पर उन्हें प्रत्येक राज्य में नियुक्त किया जाएगा।
- ध्यातव्य है कि वर्तमान में, जिला न्यायाधीशों और अधीनस्थ न्यायपालिका की नियुक्तियां संबंधित राज्य सरकारों द्वारा की जाती है।
AIJS निम्नलिखित के लिए सहायता करेगा:
- जिला और अधीनस्थ न्यायपालिका में लगभग 5,000 रिक्तियों को भरना।
- न्यायपालिका के निचले स्तरों पर न्याय की गुणवत्ता को समृद्ध करना। इससे उनके निर्णयों से उत्पन्न होने वाली अपीलों में कमी आएगी।
- भर्ती की पारदर्शी और कुशल पद्धति के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना।
मुद्दे:
- यह स्थानीय कानूनों, प्रथाओं और रीति-रिवाजों को ध्यान में नहीं रख सकता है, जिनमें राज्यवार व्यापक भिन्नताएं विद्यमान हैं।
- एक राष्ट्रीय परीक्षा कमजोर पृष्ठभूमि के लोगों को न्यायिक सेवाओं में प्रवेश करने में सक्षम होने से बाधित कर सकती है।
- भाषा की समस्या विद्यमान है, क्योंकि जिला एवं सत्र न्यायालयों में कार्यवाही की प्रक्रिया और निर्णय स्थानीय भाषा में लिखे जाते हैं।
स्रोत – द हिन्दू