अंबोली जैव विविधता विरासत स्थल घोषित

अंबोली जैव विविधता विरासत स्थल घोषित

अंबोली जैव विविधता विरासत स्थल घोषित

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने पश्चिमी घाट के सिंधुदुर्ग जिले में अम्बोली क्षेत्र को जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया।

हाल ही में ठाकरे वाइल्डलाइफ फाउंडेशन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने यहाँ के एक मंदिर के तालाब में ‘शिस्टुरा हिरण्यकेशी’ प्रजाति की मछली पाया है।

महाराष्ट्र में अंबोली नामक स्थान, देवी पार्वती के मंदिर तथा हिरण्यकेशी नदी के उद्गम स्थल के रूप में जाना जाता है।

क्षेत्र में एक दुर्लभ रंगीन मीठे पानी की मछली प्रजातियों “शिस्टुरा हिरण्यकेशी” की खोज के आधार पर ही इसे जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया है।

शिस्टुरा हिरण्यकेशी

  • शिस्टुरा हिरण्यकेशी दुर्लभ प्रजाति शिस्टुरा, मीठे पानी की एक छोटी मछली के तहत आती है जो ऑक्सीजन की प्रचुरता वाले जल निकायों में रहती है।
  • एक वन्यजीव शोधकर्ता तेजस ठाकरे ने अपनी टीम के साथ अक्टूबर,2020 में इस नई मछली प्रजाति की खोज को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ इचथोलॉजी में प्रकाशित की।
  • शिस्टुरा हिरण्यकेशी का नाम हिरण्यकेशी नदी के नाम पर रखा गया था जो अबोली गाँव के पास बहती थी।
  • इसके निवास स्थान को जैव-विविधता विरासत स्थल घोषित करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि यह एक दुर्लभ प्रजाति है और मछली पकड़ने की गतिविधियों के कारण, इसके विलुप्त होने का खतरा है।

जैव विविधता विरासत स्थल:

  • राज्य सरकार द्वारा किसी भी विशिष्ट, पारिस्थितिक रूप से नाजुक पारिस्थितिक तंत्र – स्थलीय, तटीय और अंतर्देशीय और समुद्री निकायों को जैव विविधता विरासत स्थलों के रूप में नामित किया जा सकता है।
  • स्थानीय निकायों के परामर्श से राज्य सरकार जैव विविधता महत्व के क्षेत्रों को जैव विविधता विरासत स्थलों के रूप में अधिसूचित कर सकती है।
  • भारत के राज्यों की सरकारें 2002 के जैव विविधता अधिनियम की धारा 37 के तहत स्थानीय शासी निकायों के परामर्श से जैव विविधता विरासत स्थलों को अधिसूचित कर सकती हैं।
  • इन क्षेत्रों को अद्वितीय और संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र माना जाता है।ये स्थलीय, तटीय और अंतर्देशीय जल या समुद्री पारिस्थितिक तंत्र हो सकते हैं।

जैव विविधता अधिनियम, 2002:

  • जैव विविधता अधिनियम, 2002 का निर्माण जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन , 1992 में निहित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये हुआ जो राज्यों को स्वयं के जैविक संसाधनों का उपयोग करने के लिये उनके संप्रभु अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है।
  • इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और राज्य जैव विविधता बोर्ड को स्थापित किया गया है।
  • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है, जिसका मुख्यालय चेन्नई में है। यह भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
  • राज्य जैव विविधता बोर्ड (एसबीबी) पूरे भारत में 31,574 जैविक प्रबंधन समितियों (प्रत्येक स्थानीय निकाय के लिए) के साथ सभी राज्यों में बनाए गए हैं।

महाराष्ट्र के अन्य जैव विविधता विरासत स्थल

पूरे महाराष्ट्र में कई और क्षेत्रों को भी जैव विविधता विरासत साइटों के रूप में घोषित किया है। इसमें –जलगांव में लैंडर खोरी पार्क, पुणे में गणेश खिंड, गढ़चिरौली में अल्लापल्ली और सिंधुदुर्ग की मिरिस्टिका दलदली वनस्पति क्षेत्र शामिल हैं।

स्रोत- द हिन्दू

Download Our App

MORE CURRENT AFFAIRS

[catlist]

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course