अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन-ISO) विधेयक 2023
हाल ही में रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन-ISO) विधेयक 2023 का समर्थन किया है।
इसे लोकसभा में मार्च मार्च 2023 पेश किया गया और इसके बाद इसे रक्षा संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा गया।
इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को सशक्त बनाना है –
संयुक्त सेवा कमांड सहित अंतर-सेवा संगठनों की स्थापना को अधिसूचित करें , और
अनुशासन और कर्तव्यों के प्रभावी निर्वहन को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे संगठनों के प्रमुखों को तीनों सेवाओं में से किसी एक के कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दें ।
विधेयक से संबंधित मुख्य बिंदु
इसके तहत पहले से मौजूद अंतर-सेवा संगठनों (ISOs) को इस प्रस्तावित कानून के अधीन गठित माना जाएगा। इनमें अंडमान एवं निकोबार कमान, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी शामिल हैं।
यह विधेयक केंद्र सरकार को किसी ISO का गठन करने का भी अधिकार देता है ।
यह विधेयक ISOs के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर- इन- कमांड को उनकी कमान के अधीन कार्यरत सेवा – कर्मियों के अनुशासनात्मक और प्रशासनिक नियंत्रण का अधिकार देता है, चाहे वे किसी भी सेवा में शामिल हों ।
वर्तमान में, ऐसे सेवाकर्मी वायु सेना अधिनियम, 1950; सेना अधिनियम, 1950 और नौसेना अधिनियम, 1957 जैसे सेवा अधिनियमों द्वारा प्रशासित होते हैं ।
केवल संबंधित सेवाओं के अधिकारी ही सेवा कर्मियों पर अनुशासनात्मक शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।
यह ISOs में कमान, नियंत्रण और अनुशासन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ISO का कमांडिंग ऑफिसर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर सकेगा ।
ISO का अधीक्षण करने का प्राधिकार केंद्र सरकार को प्राप्त होगा। सरकार ऐसे संगठनों को राष्ट्रीय सुरक्षा, सामान्य प्रशासन या जनहित के आधार पर निर्देश भी जारी कर सकती है।
ISO से आशय संयुक्त सेवा कमान सहित सैनिकों के एक ऐसे निकाय से है, जिसमें दो या दो से अधिक सेवाओं (थल सेना, नौसेना और वायुसेना) के कर्मी शामिल होते हैं।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स