हाल ही में संशोधित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (इंटरनेशनल सोलर अलाइंस -आईएसए) फ्रेमवर्क समझौते के तहत संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हो सकते हैं।
आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते द्वारा अनिवार्य किए गए सदस्य देशों की अपेक्षित संख्या से आवश्यक अनुसमर्थन/अनुमोदन/स्वीकृति प्राप्त होने के बाद, उक्त संशोधन 15 जुलाई,2020 से लागू हो गया है।
आईएसए के संशोधन के लागू होने के बाद फ्रेमवर्क समझौता अब संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राष्ट्रों को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने की अनुमति देता है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन :
- आईएसए की स्थापना कोप -21 (CoP-21) पेरिस घोषणा के अनुसार हुई है।6 दिसम्बर, 2017 को ISA का फ्रेमवर्क समझौता लागू हो गया और इसके साथ ही यह संधि पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन के तौर पर औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया।
- इस संघ का उद्देश्य है सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना जिससे पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता कम की जा सके।
- सौर संघ का प्रधान लक्ष्य विश्व-भर में 1,000 GW सौर ऊर्जा का उत्पादन करना और इसके लिए 2030 तक सौर ऊर्जा में 1,000 बिलियन डॉलर के निवेश का प्रबंध करना है।
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय, अंतर-सरकारी संघ है जो आपसी समझौते पर आधारित है।
- अब तक 54 देशों ने इसके फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
- यह 121 ऐसे देशों का संघ है जो सौर प्रकाश की दृष्टि से समृद्ध हैं।
- ये देश पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं।
- इसका मुख्यालय भारत में है और इसका अंतरिम सचिवालय फिलहाल गुरुग्राम में बन रहा है।
स्रोत -द हिन्दू