अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी कामगारों (IMW) पर वैश्विक अनुमान रिपोर्ट
हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization -ILO) ने ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी कामगारों (International Migrants Workers-IMW) पर वैश्विक अनुमान’ रिपोर्ट जारी की है ।
मुख्य निष्कर्ष:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी कामगारों की संख्या वर्ष 2017 के 164 मिलियन से दो वर्षों में पांच मिलियन या 3 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2019 में 169 मिलियन हो गई थी।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिक वैश्विक श्रम शक्ति का 9 प्रतिशत भाग हैं।
- तीन में से, दो से अधिक प्रवासी कामगार उच्च आय वाले देशों में केंद्रित हैं।
- कई प्रवासी कामगारों को कार्य पर अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। साथ ही, महामारी से स्थिति और खराब हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र 2030 सतत विकास एजेंडा, प्रवासन को विकास नीति के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में मान्यता प्रदान करता है, तथा सरकारों से निम्नलिखित हेतु आग्रह करता है –
- नियोजित और भलीभांति प्रबंधित प्रवासन नीतियों के कार्यान्वयन सहित लोगों के व्यवस्थित, सुरक्षित, नियमित एवं उत्तरदायी प्रवास तथा गतिशीलता को सुगम बनाना (लक्ष्य 7)।
- कामगार अधिकारों की रक्षा करना और प्रवासी कामगारों, विशेष रूप से महिला प्रवासियों एवं अनिश्चित रोजगार वाले लोगों सहित सभी कामगारों के लिए सुरक्षित व संरक्षित कार्य परिवेश को बढ़ावा देना (लक्ष्य 8)।
- वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवास के लिए विश्वव्यापी समझौते (Global Compact for Safe, Orderly and Regular Migration) को अपनाने के साथ, देशों ने व्यवस्थित प्रवासन की सुविधा के लिए बेहतर प्रवासन अभिशासन एवं सहयोग हेतु प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी कामगारों को कामकाजी आयु के प्रवासियों के रूप में परिभाषित किया गया है, जो एक निर्दिष्ट संदर्भ अवधि के दौरान अपने सामान्य निवास वाले देश के श्रम बल में शामिल थे, भले ही वे रोजगार में संलग्न थे या बेरोजगार थे।
- कामकाजी आयु के प्रवासियों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोग शामिल हैं।
- उत्प्रवास अधिनियम, 1983 (Emigration Act, 1983) भारतीय कामगारों के अनुबंध के आधार पर विदेशों में रोजगार के लिए उत्प्रवास से संबंधित है तथा उनके हितों की रक्षा और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
स्रोत – द हिन्दू