अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) द्वारा इंडिया एनर्जी आउटलुक 2021 रिपोर्ट जारी
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी द्वारा हाल ही में इंडिया एनर्जी आउटलुक 2021 रिपोर्ट जारी की गयी है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- भारत वर्ष 2030 यूरोपीय संघ को पीछे छोड़ते हुए विश्व में तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता बन जाएगा, क्योंकि आगामी दो दशकों में, भारत की ऊर्जा मांग में 25% की वृद्धि होगी।
- रिपोर्ट के अनुसार भारत की ऊर्जा खपत लगभग दोगुनी होने की उम्मीद है,क्योंकि भारत की वर्तमान राष्ट्रीय नीति परिदृश्य को देखते हुए, वर्ष 2040 तक देश का सकल घरेलू उत्पाद 6 ट्रिलियन डॉलर तक होने का अनुमान है। इस कारणवश, भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरते, देश को जीवाश्म ईंधन के आयात पर अधिक निर्भर बना सकती हैं, पेट्रोलियम अन्वेषण और उत्पादन और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने संबंधी सरकार की नीतियों के बावजूद इसके घरेलू तेल और गैस के उत्पादन में वर्षों से कोई प्रगति नहीं हुई है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, भारत की तेल मांग में, वर्ष 2019 में 5 मिलियन बैरल प्रतिदिन (BPD) से बढ़कर वर्ष 2040 में 7 मिलियन बैरल प्रतिदिन, तक की वृद्धि होने की उम्मीद है। तथा, इसकी शोधन क्षमता, वर्ष 2019 में 5 मिलियन बैरल प्रतिदिन से बढ़कर वर्ष 2030 तक 4 मिलियन बैरल प्रतिदिन तथा वर्ष 2040 तक 7.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुँच सकती है।
- चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शुद्ध तेल आयातक देश भारत, वर्तमान में अपने कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 76% आयात करता है तथा इसकी विदेशी तेल पर निर्भरता वर्ष 2030 तक 90% और वर्ष 2040 तक 92% होने की उम्मीद है।
- बढ़ती तेल मांग के कारण, भारत की तेल आयात लागत, वर्ष 2019 की तुलना में, वर्ष 2030 तक दोगुनी होकर लगभग 181 बिलियन डॉलर, तथा वर्ष 2040 तक 255 बिलियन डॉलर हो सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, एक अंतर-सरकारी स्वायत्त संगठन है। इसकी स्थापना आर्थिक सहयोग और विकास संगठन फ्रेमवर्क के अनुसार वर्ष 1974 में की गई थी।
- इसके कार्य मुख्यत:चार मुख्य क्षेत्रों पर फोकस होता है: ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास, पर्यावरण जागरूकता और वैश्विक सहभागिता।
- इसका मुख्यालय (सचिवालय) पेरिस, फ्रांस में है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की स्थापना वर्ष 1973-1974 के तेल संकट के दौरान सदस्य देशों के लिए तेल आपूर्ति व्यवधानों का सामना करने में मदद करने के लिए की गयी थी।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसीद्वारा यह भूमिका वर्तमान में भी निभाई जा रही है।अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसीके अधिदेश में समय के साथ विस्तार किया गया है। इसके कार्यों में वैश्विक रूप से प्रमुख ऊर्जा रुझानों पर निगाह रखना और उनका विश्लेषण करना, मजबूत ऊर्जा नीतियों को बढ़ावा देना और बहुराष्ट्रीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देना शामिल किया गया है।
- वर्तमान में ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ में 30 सदस्य देश तथा आठ सहयोगी देश शामिल हैं। इसकी सदस्यता होने के लिए किसी देश को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का सदस्य होना अनिवार्य है। हालांकि OECD के सभी सदस्य आईईए के सदस्य नहीं हैं।
कार्य:
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की स्थापना वर्ष 1973-1974 के तेल संकट के दौरान सदस्य देशों के लिए तेल आपूर्ति व्यवधानों का सामना करने में मदद करने के लिए की गयी थी।
- इसके कार्यों में वैश्विक रूप से प्रमुख ऊर्जा रुझानों पर निगाह रखना और उनका विश्लेषण करना, मजबूत ऊर्जा नीतियों को बढ़ावा देना और बहुराष्ट्रीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ावा देना शामिल किया गया है।
IEA की संरचना एवं सदस्यता हेतु पात्रता:
- वर्तमान में ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी’ में 30 सदस्य देश तथा में आठ सहयोगी देश शामिल हैं। इसकी सदस्यता होने के लिए किसी देश को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का सदस्य होना अनिवार्य है।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की सदस्यता के लिए शर्ते:
- देश की सरकार के पास पिछले वर्ष के 90 दिनों में किए गए निवल आयात के बराबर कच्चे तेल और / अथवा उत्पाद भण्डार मौजूद होना चाहिए।
- देश में राष्ट्रीय तेल खपत को 10% तक कम करने के लिए एक ‘मांग नियंत्रण कार्यक्रम’ लागू होना चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी द्वारा प्रकाशित की जाने वाली रिपोर्ट्स:
- वैश्विक ऊर्जा और CO2स्थिति रिपोर्ट
- विश्व ऊर्जा आउटलुक
- विश्व ऊर्जा सांख्यिकी
- विश्व ऊर्जा संतुलन
- ऊर्जा प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस