अंतर्राष्ट्रीय आपदा-रोधी अवसंरचना सम्मेलन (ICDRI)

अंतर्राष्ट्रीय आपदा-रोधी अवसंरचना सम्मेलन (ICDRI)

हाल ही में प्रधान मंत्री ने 5वें अंतर्राष्ट्रीय आपदा-रोधी अवसंरचना सम्मेलन (ICDRI) को संबोधित किया है।

ICDRI आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure: CDRI) द्वारा आयोजित एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है।

आपदा-रोधी अवसंरचना में महत्वपूर्ण भवन, सार्वजनिक सामुदायिक सुविधाएं, पारगमन प्रणालियां, दूरसंचार और विद्युत प्रणालियां शामिल हैं।

ये ऐसी अवसंरचनाएं हैं जिन्हें बाढ़, भूकंप या वनाग्नि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया होता है।

आपदा-रोधी अवसंरचना के महत्त्व

  • यह प्राकृतिक आपदाओं के बाद संपूर्ण अवसंरचना के पुनर्निर्माण की आर्थिक लागत को कम कर सकती है।
  • यह आपदाओं की वजह से होने वाली मृत्यु दर में कमी लाकर इससे संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करती है।
  • ऐसी अवसंरचनाएं आपदा के बाद प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए ऊर्जा, परिवहन व दूरसंचार की निर्बाध व्यवस्था में मदद करती हैं।
  • आपदा की घटनाओं की आवृत्ति और गंभीरता बढ़ रही है। ऐसी घटनाएं आपदा-रोधी अवसंरचना को अपरिहार्य बनाती हैं। हाल में तुर्की में आया भूकंप इसका एक उदाहरण है।

आपदा-रोधी अवसंरचना की दिशा में प्रमुख पहलें

  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (2016) के बाद भारत ने CDRI के गठन की घोषणा की थी ।
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क (2015- 2030 ) अपनाया गया है।

यह फ्रेमवर्क आपदा जोखिम को कम करने के लिए निम्नलिखित चार कार्य प्राथमिकताओं को रेखांकित करता है:

  • आपदा जोखिम को समझना,
  • आपदा जोखिम का प्रबंधन करने के लिए आपदा जोखिम गवर्नेस को मजबूत करना,
  • लोचशीलता के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण में निवेश करना, तथा
  • रिकवरी, पुनर्वास और पुनर्निर्माण में “बिल्ड बैक बैटर” के लिए आपदा संबंधी तैयारियों को बढ़ाना ।

वर्ष 2022 में वित्तीय संसाधन के रूप में इंफ्रास्ट्रक्चर रेसिलिएंस एक्सेलरेटर फंड की घोषणा की गई थी । यह आपदा-रोधी अवसंरचना पहल की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। G-20 के कार्यकारी समूहों में CDRI को शामिल किया गया है।

आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI):

  • यह राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और कार्यक्रमों, निजी क्षेत्र तथा शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों की वैश्विक साझेदारी है।
  • इसे 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन (न्यूयॉर्क) के दौरान भारत के प्रधान मंत्री ने लॉन्च किया था।
  • यह जलवायु और आपदा जोखिमों का सामना करने के लिए अवसंरचना प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ावा देता है, ताकि सतत विकास सुनिश्चित हो सके ।
  • सदस्यता: वर्तमान में 31 देश, 6 अंतर्राष्ट्रीय संगठन और 2 निजी क्षेत्र के संगठन इसके सदस्य हैं। भारत इसका सदस्य है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है ।

स्रोत – पी.आई.बी.

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