‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’ (Inland Vessels Bill)
‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’ (Inland Vessels Bill)
हाल ही में, संसद के निन्न सदन (लोकसभा) में सरकार द्वारा ‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’, 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) प्रस्तुत किया गया है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
- ‘अंतर्देशीय पोत विधेयक’ में विभिन्न राज्यों द्वारा निर्मित किये गए अलग-अलग नियमों के स्थान पर सम्पूर्ण देश के लिए एक संयुक्त कानून का प्रावधान किया गया है।
- प्रस्तावित कानून के अंतर्गत जारी किया जाने वाला ‘पंजीकरण प्रमाण पत्र’ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मान्य होगा, अतः इसके लिए राज्यों से अलग अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
- विधेयक में एक इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर, पोत, पोत पंजीकरण और चालक दल का विवरण दर्ज करने के लिए एक केंद्रीय डाटा बेस बनाने का प्रावधानभी किया गया है।
- विधेयक के तहत, यांत्रिक रूप से चालित सभी जहाजों के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा । एवं सभी गैर-यांत्रिक रूप से चालित जहाजों को भी जिला, तालुक या पंचायत या ग्राम स्तर पर पंजीकरण करना होगा।
भारत में ‘अंतर्देशीय जल परिवहन’:(Inland Water Transport-IWT)
- विदित हो कि, भारत में नौगम्य जलमार्ग की लम्बाई लगभग 14,500 किलोमीटर हैं, और इसमें नदियाँ, नहरें, अप्रवाही जल या बैकवाटर (Backwaters), खाड़ियाँ आदि सम्मिलित हैं।
- अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) एक ईंधन-किफायती और पर्यावरण अनुकूल परिवहन माध्यम है।
- राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 के अनुसार, 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग (National Waterways- NW) घोषित किया गया है।
- भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा, विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से, गंगा के हल्दिया-वाराणसी विस्तार (राष्ट्रीय जलमार्ग (NW)-1 का भाग) पर नौपरिवहन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग ₹ 18 करोड़ की लागत के साथ जल मार्ग विकास परियोजना (JMVP) का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
स्रोत: पीआईबी
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