अंतरिक्ष विभाग का युक्तधारा पोर्टल जारी
हाल ही में अंतरिक्ष विभाग ने भुवन युक्तधारा के तहत नया पोर्टल जारी किया है।
- यह प्लेटफॉर्म विभिन्न राष्ट्रीय ग्रामीण विकास कार्यक्रमों अर्थात मनरेगा (MGNREGA), बूंद-बूंद सिंचाई (Per Drop More Crop) प्रणाली और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आदि के अंतर्गत सृजित की गई परिसंपत्तियों के भंडार (जियो टैग) के रूप में कार्य करेगा। ज्ञातव्य है कि इसमें फील्ड फोटोग्राफी भी शामिल है।
- भुवन युक्तधारा के अंतर्गत वर्तमान में जारी किए गए नए पोर्टल से सुदूर संवेदन (Remote Sensing) और भौगोलिक सूचना प्रणाली(GIS) आधारित सूचनाओं का उपयोग करते हुए नई मनरेगा परिसंपत्तियों की योजना बनाने में सुविधा प्राप्त होगी।
जियोटैगिंग के बारे में:
- जियोटैगिंग का अर्थ एक छवि की भौगोलिक अवस्थिति का पता लगाने की एक प्रक्रिया है। यह विभिन्न मीडिया जैसे फोटो या वीडियो में अक्षांश व देशांतर जैसी भौगोलिक पहचान के समावेशन की प्रक्रिया है।
- यह उपयोगकर्ताओं को किसी डिवाइस से विभिन्न प्रकार की स्थान-विशिष्ट जानकारी को खोजने में मदद कर सकती है।
- जियो-टैगिंग के लिए, केंद्र सरकार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र National Remote Sensing Centre: NRSC) के सहयोग से कार्य करती है। NRSC एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म भुवन का उपयोग करता है।
- भुवन उपयोगकर्ताओं को पृथ्वी की सतह की 2D/3D निरूपण से संबंधित जानकारी प्राप्त करने की अनुमति प्रदान करता है।
लाभः
बेहतर निगरानी, योजनाओं में पारदर्शिता, रिसाव की जांच में सहायता औरभविष्य के विकास कार्यों के लिए क्षेत्र का प्रभावी मानचित्रण।
कमियां:
योजनाएं तकनीक पर अत्यधिक निर्भर हो जाती हैं,जमीन स्तर पर अनियमित इंटरनेट कनेक्शन तथा इस प्रक्रिया और इसके उपयोग में जटिलता के साथ-साथ पर्याप्त सूचना प्रसार का अभाव, प्रायः कार्यकर्ता या लाभार्थी को भ्रमित कर देता है।
स्रोत –द हिन्दू