अंटार्कटिका और वेडेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPA) के रूप में नामित
हाल ही में भारत ने अंटार्कटिका के पर्यावरण के संरक्षण तथा पूर्वी अंटार्कटिका और वेडेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPA) के रूप में नामित करने हेतु समर्थन का विस्तार किया है ।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी अंटार्कटिका और वेडेल सागर को समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (Marine Protected Areas: MPAs) के रूप में नामित करना अवैध गैर-सूचित एवं अनियमित मत्स्यन (Illegal unreported and unregulated fishing) IUUP) को विनियमित करने के लिए आवश्यक है।
MPAs अपने सभी प्राकृतिक संसाधनों या उसके किसी भाग को सुरक्षा प्रदान करते हैं। ज्ञातव्य है कि विशिष्ट संरक्षण, पर्यावास संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र निगरानी या मत्स्यन प्रबंधन उद्देश्यों की पूर्तिके लिए MPA के भीतर कुछ गतिविधियां सीमित या प्रतिबंधित होती हैं।
भारत ने अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधन संरक्षण आयोग (Commission for the Conservation of Antarctic Marine Living Resources: CCAMLR) के सदस्य देशों से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है कि भारत भविष्य में इन MPAS के निर्माण, अनुकूलन एवं कार्यान्वयन तंत्र से संबद्ध रहे।
CCAMLR, एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसका उद्देश्य संपूर्ण अंटार्कटिक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की प्रजातियों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने के लिए अंटार्कटिक मत्स्यन का प्रबंधन करना है।
CCAMLR की स्थापना वर्ष 1982 में की गई थी। भारत वर्ष 1986 से CCAMLR का स्थायी सदस्य रहा है।
अन्य सरकारी पहलें:
- वर्ष 1983 में, भारत ने अंटार्कटिक संधि, 1959 पर हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य अंटार्कटिका का विसैन्यीकरण करना और इसे शांतिपूर्ण अनुसंधान गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र के रूप में स्थापित करना है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय संप्रभुता के संबंध में किसी भी विवाद का समाधान करना भी इसका एक लक्ष्य है। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- भारतीय अंटार्कटिक विधेयक (Indian Antarctic Bill) का उद्देश्य अंटार्कटिक पर्यावरण और उस पर आश्रित तथा उससे संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु उपबंध करना है।
स्रोत – द हिन्दू